धमतरी (छत्तीसगढ़) का बूटीगढ़ – प्रकृति, पौराणिक विरासत और वन-औषधीय खजाना -
भाग-1
छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जनजातीय संस्कृति और पौराणिक धरोहरों के लिए विश्वभर में पहचाना जाता है। घने वनों, कलकल बहते झरनों, पवित्र नदियों, पर्वतराजियों और रहस्यपूर्ण गुफाओं के संगम से घिरा यह प्रदेश अपनी भूमि के नीचे-ऊपर अनगिनत रहस्यों को समेटे हुए है।
इन्हीं प्राकृतिक रहस्यमयी स्थलों में से एक है बूटीगढ़—धमतरी जिले के आदिवासी बहुल सिंगपुर ग्राम से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक ऐसा क्षेत्र, जिसे उसके अद्भुत औषधीय महत्व, पौराणिक मान्यताओं और आध्यात्मिक अनुभूतियों के कारण विशेष पहचान प्राप्त है।
बूटीगढ़ वह स्थान है जहाँ पहुँचना ही अपने-आप में किसी आध्यात्मिक यात्रा का अंग बन जाता है। यहाँ की निस्तब्धता में जंगलों की सरसराहट, पहाड़ों की खामोशी, बहते झरनों की ध्वनि और वातावरण में फैली औषधीय सुगंध—सब मिलकर मनुष्य को सांसारिक चहल-पहल से दूर एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।
1) सिंगपुर – प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहर का आधार
धमतरी जिला छत्तीसगढ़ के मध्य भाग में स्थित है। धमतरी से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिंगपुर गाँव प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यह क्षेत्र जनजातीय संस्कृति, लोकनृत्य, लोकगीत, पारंपरिक ज्ञान, आजीविका और रहन-सहन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यहाँ की जीवनशैली प्रकृति से पूरी तरह जुड़ी हुई है। जंगल-पहाड़ से प्राप्त संसाधन—लकड़ी, पत्ते, औषधीय पौधे, वन्य फसल आदि—लोगों की आजीविका के मुख्य साधन हैं।
यही प्रकृति-आधारित संस्कृति बूटीगढ़ को लोकचेतना में और गहराई से स्थापित करती है।
2) बूटीगढ़ का भू-विन्यास
सिंगपुर से लगभग 5 किमी दूर स्थित बूटीगढ़ पूरा क्षेत्र पहाड़ी, वनाच्छादित और तुलनात्मक रूप से दुर्गम है।
यहाँ तक पहुँचने के लिए घने जंगलों और संकरे वन-मार्गों से होकर गुजरना पड़ता है।
यात्रा के दौरान चारों ओर से हरे पेड़-पौधे, घुमावदार घाटियाँ और लताओं से ढके वृक्ष दृश्यों को अद्भुत बनाते हैं।
बूटीगढ़ की विशेषता है—
✔ घने सघन जंगल
✔ ऊँची-नीची पहाड़ियाँ
✔ जड़ी-बूटियों से भरपूर वनस्पति
✔ शांत और रहस्यमय वातावरण
✔ धार्मिक-पौराणिक स्थान
यहीं प्रकृति की गोद में एक छोटा-सा देवस्थल है जहाँ स्थानीय लोग पूजा-अर्चना करते हैं।
3) नाम “बूटीगढ़” का अर्थ
“बूटीगढ़” नाम का अर्थ है—जड़ी-बूटियों का गढ़
इस नाम के दो मुख्य आधार माने जाते हैं—
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वन-समृद्धि
जंगलों में अनेकों औषधीय पौधे पाए जाते हैं, जिनका उपयोग स्थानीय लोग चिकित्सा-उपचार में करते हैं। -
पौराणिक संबंध
यहाँ की पहाड़ियों पर संजीवनी जैसे गुणों वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियों के होने की कथाएँ कही जाती हैं।
इसीलिए वर्षों से यह इलाका जड़ी-बूटी परंपरा का केंद्र माना जाता है।
4) पौराणिक कथाएँ व स्थानीय मान्यताएँ
धमतरी और सिंगपुर क्षेत्र में प्रचलित कहानियों में बूटीगढ़ का विशेष आध्यात्मिक स्थान है। जनश्रुतियों के अनुसार—
✅ (क) देवी-देवताओं का वास
कहा जाता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है।
मान्यता है कि माता पार्वती भी इस क्षेत्र में आई थीं। उनके साथ और भी देवियाँ थीं, किंतु बाद में माता अन्नपूर्णा इसी स्थान पर रुक गईं। स्थानीय आदिवासी समुदाय इस स्थान को मातृशक्ति का पवित्र धाम मानते हैं।
✅ (ख) चमत्कारी भोजन की कथा
लोककथा के अनुसार बूटीगढ़ में कभी एक पात्र में प्रतिदिन भोजन प्राप्त होता था।
लोगों ने उसे देवी-कृपा माना।
किंतु कथा यह है कि कुछ लोगों ने लालच में आवश्यकता से अधिक भोजन ले लिया, जिसके बाद वह पात्र बीच मार्ग में ही थम गया और वह लोग मृत्यु को प्राप्त हुए।
यह कथा हमें बताती है कि —
प्रकृति दयालु है, परंतु लालच को कभी सहन नहीं करती।
✅ (ग) संजीवनी बूटी का अंश
जो सबसे रोचक कथा यहाँ कही जाती है वह है—
जब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेने हिमालय गए थे, तब वापसी में पर्वत का एक अंश यही गिरा और यहीं की पहाड़ियाँ जड़ी-बूटियों से संपन्न हो गईं।
स्थानीय पहाड़ियों पर रात्रि में चमकने वाली जड़ी-बूटियों की बातें भी सुनने को मिलती हैं, जिन्हें लोग संजीवनी से जोड़कर देखते हैं।
यद्यपि वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है, परंतु स्थानीय विश्वास इस क्षेत्र को रहस्यमयता प्रदान करते हैं।
5) बूटीगढ़ की औषधीय संपदा
यह क्षेत्र जड़ी-बूटियों के लिए विख्यात है।
यहाँ अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जिनका उपयोग—
✔ बुखार
✔ घाव
✔ त्वचा संबंधी रोग
✔ दर्द
✔ जटिल बीमारियाँ
—तथा अन्य अनेक रोगों में स्थानीय उपचारक करते हैं।
यहाँ के स्थानीय वैद्य रघु ठाकुर जड़ी-बूटियों का गहन ज्ञान रखते हैं और कई लोगों का उपचार कर चुके हैं।
प्रचलित कथाओं के अनुसार—
बूटीगढ़ की कुछ दुर्लभ औषधियाँ प्रकाश उत्पन्न कर सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी जाँच अभी शेष है, लेकिन स्थानीय जनविश्वास इसे चमत्कारी मानता है।
6) आदिवासी समुदाय और बूटीगढ़
बूटीगढ़ आदिवासी संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ क्षेत्र है।
यहाँ प्रमुख रूप से जनजातीय समुदाय रहता है—
जिनका प्रकृति पर अत्यधिक विश्वास है।
उनकी धार्मिक परंपराएँ, नृत्य, उत्सव, उपचार पद्धतियाँ और जीवन पद्धति बूटीगढ़ की पहचान हैं।
जनजातीय समाज जड़ी-बूटियों को केवल औषधि के रूप में नहीं देखता
बल्कि उन्हें दिव्य शक्ति का रूप मानता है।
यहाँ माना जाता है कि—
जो व्यक्ति शुद्ध मन से वन में प्रवेश करता है, प्रकृति उसे आवश्यक औषधि स्वयं प्रदान कर देती है।
7) धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप
बूटीगढ़ में—
✅ पूजा-अनुष्ठान
✅ लोकविद्या
✅ वैदिक परंपराएँ
✅ देवी-देवता कथाएँ
✅ मंत्र-तंत्र सम्बन्ध
—सभी का समन्वित रूप देखने को मिलता है।
यहाँ का मुख्य धार्मिक आकर्षण है—
देवस्थल, जहाँ स्थानीय पुजारी पूजा-अर्चना करते हैं।
विशेष अवसरों पर—
महाशिवरात्रि और नवरात्रि में विशेष अनुष्ठान होते हैं।
इन दिनों यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं और मेला-जैसा वातावरण बन जाता है।
8) लोकजीवन और वन-संस्कृति
इस क्षेत्र में प्रकृति और मनुष्य अलग-अलग नहीं
बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।
जंगल—
✦ भोजन
✦ आवास
✦ औषधि
✦ आस्था
✦ जीवन-निर्वाह
—सबका आधार है।
लोग वन से लकड़ी, पत्ते, फल-फूल, कंद-मूल तथा जड़ी-बूटियाँ एकत्र करते हैं
और इसी से उनकी आजीविका चलती है।
वन-देवियों और प्रकृति का आशीर्वाद ही इनके सुख-दुख का आधार है।
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