🌿 बुटीगढ़ की लोकगाथा🌿 ( हेमंत मरकाम )

 

🌿 बुटीगढ़ की लोकगाथा🌿

 (  हेमंत मरकाम )

(प्रस्तावना)
सुनो रे भाई–बहिनी हो,
परबत–वन की बात,
धमतरी के धरती भीतर,
छिपा पुरातन ठाठ…॥


(1) उद्गम कथा

बुटीगढ़ के घना अँधेरमा,
ऋषि रहे तपधारी,
जड़ी-बूटी के भेद बतावत,
वन–वन घूमन भारी।

पात–पात मा देवा बसतें,
डाल–डाल मा प्राण,
अइसन पावन जगह कहे जाथे,
धरती के वरदान…॥


(2) रहस्यमय वन

घोर अरण्य गजब घहराइल,
रहस्य भरे परत,
बिना निसान घुमे गंधर्वा,
देवा गावत करत।

सल–साजा के थिर छाँव तले,
सोन चिरैया गात,
बुटीगढ़ के महिमा कहे–
अद्भुत मया भरात…॥


(3) चिर-भक्ति

मुनि–तपस्वी करथें पूजा,
दीपक जलत रजनी,
वन–वायु मा बहे पवित्तर,
मंत्र–ध्वनि सुगंधनी।

पाँव बिना चल देथें देव,
धरा देथें साथ,
बुटीगढ़ के पावन रूत,
बरतें अमर परिहास…॥


(4) बूढ़ा–बाबा की बात

गाँव–गाँव मा बूढ़ा–बाबा,
कथा सुनावत रात,
कैसे रोगी बनिगे निरोगा,
सुनिके सब मन तृप्तात।

धूल कणों मा छुपल होथे,
आयु–शक्ति के आस,
धरती मा बसगे जीवन रस,
सुने जगत–उल्लास…॥


(5) परीकथा–सा जंगल

कहिथें रात के बेला मा,
जुगनू बनके देव,
रोग हरे बर उतरथें,
लइका–बुढवा–सेव।

झाड़ी–झाड़ी परिकथन,
पुरखा दइथें गान,
जगत बिसारिस ना सकही,
एके अनोखा मान…॥


(6) लोकविश्वास

कहें कि जंगली फूल–फूल,
करे जतन उपचार,
साँस–ताप–ज्वर–दुखदर्दा,
हर ले एकहि बार।

पथरा–पीत–हवा–दरद,
दूर करे औषध,
आस्था के धागा बंधा हे,
वन औ मानव के मध…॥


(7) वर्तमान महिमा

आजू तक बुटीगढ़ बोलत,
पत्ता–पत्ता मा जान,
धरती–माई के आँगन–भेंवरा,
जग के देथे मान।

जगह जहाँ प्रकृति रहिथे,
अमर गाथा गात,
पीढ़ी–पीढ़ी तक सुनत जाबो,
बुटीगढ़ के बात…॥


अंतिम भाव / समापन

बोलो–
वन देवता की जय हो,
बुटीगढ़ महिमा पावन!
जड़ी–बूटी प्रवाहित जीवन,
धन्य धरा अति सावन!!

हे बुटीगढ़–हे बुटीगढ़,
लोक–कथा के मान,
तेहर छत्र तले बांसुरी–वत,
गात रहय संसार…॥

 //जय बुटीगढ़ बाबा //

(सरांश)

बुटीगढ़ छत्तीसगढ़ के धमतरी क्षेत्र का एक प्राचीन वन-स्थल है। इसे औषधियों का खज़ाना कहा जाता है।
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि यहाँ तप करते थे और वन की जड़ी-बूटियों से रोगों का उपचार होता था।
लोक-कथाओं में वर्णित है कि यहाँ देव-गंधर्व भी विचरण करते थे।
वन की समृद्ध जैव विविधता, औषधीय महत्व, और सांस्कृतिक विरासत इसे एक पवित्र व ऐतिहासिक क्षेत्र बनाती है।
आज भी प्रकृति की सुंदरता, लोकमान्यता और चिकित्सा गुण इस स्थान को विशेष पहचान देते हैं।



आप सभी आदरणीय जानो साधुवात मैने एक कविता के रूप में लिखने का प्रयास हमारे बूटीगढ़ के बारे में किया हु । कही पास लिखने में कोई त्रुटि होगा तो छोटा भाई समझ कर माफ कर देना या कही सुधार करना होगा तो जरूर बता देना।  🙏 


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