🌿 राजा कांकेर और बुटीगढ़ का औषधीय इतिहास (श्री डी.पी. बागड़े के अनुसार)

🏞️ बुटीगढ़ का ऐतिहासिक महत्व

छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में स्थित बुटीगढ़ केवल एक प्राकृतिक स्थल नहीं,
बल्कि यह स्थान प्राचीन औषधीय विज्ञान और मानव–प्रकृति के रिश्ते का जीवंत उदाहरण है।
इस क्षेत्र की जड़ी-बूटियाँ, हरियाली और मिट्टी आज भी अपने अंदर
अद्भुत चिकित्सीय गुण संजोए हुए हैं।


👑 कांकेर के राजा और बुटीगढ़ का संबंध

सेवानिवृत्त शिक्षक श्री डी.पी. बागड़े के अनुसार,प्राचीन काल में जब कांकेर राज्य के राजा युद्ध किया करते थे,
तो युद्ध के दौरान घायल सैनिकों को बुटीगढ़ के पवित्र वन क्षेत्र में उपचार के लिए भेजा जाता था।यहाँ के जंगलों में उगने वाली दुर्लभ औषधीय वनस्पतियाँ,उन सैनिकों के घाव भरने और शरीर को पुनर्जीवित करने में सहायक होती थीं।वन के वैद्य और औषधि–ज्ञानी लोग,पत्तों, जड़ों और प्राकृतिक रसों से उपचार करते थे।


🌿 प्रकृति की चिकित्सा शक्ति

कहा जाता है कि बुटीगढ़ की हवा, मिट्टी और जल
स्वयं में औषधीय तत्वों से भरपूर थे।
जो भी व्यक्ति यहाँ कुछ दिन ठहरता,
वह नई ऊर्जा और जीवन शक्ति का अनुभव करता था।

घायल सैनिकों को यहाँ की जड़ी-बूटियों से इतना लाभ मिलता था कि
थोड़े ही दिनों में वे फिर से युद्ध के लिए तैयार हो जाते थे।
इसलिए बुटीगढ़ को “युद्ध के बाद पुनर्जीवन भूमि” भी कहा जाता था।


💫 प्रकृति और मानव का पवित्र संबंध

बुटीगढ़ का यह ऐतिहासिक प्रसंग यह दर्शाता है कि
प्रकृति केवल हमारी आवश्यकता नहीं, बल्कि हमारी सबसे बड़ी चिकित्सक है।
यह भूमि मानव शरीर, मन और आत्मा —
तीनों को शांति और स्वास्थ्य प्रदान करती है।

आज जब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान आगे बढ़ चुका है,
तब भी बुटीगढ़ की मिट्टी और उसकी वन-संपदा
हमें यह याद दिलाती है कि
प्रकृति से जुड़ाव ही असली आरोग्य का स्रोत है।


📜 निष्कर्ष

बुटीगढ़” केवल धमतरी का एक गाँव नहीं,
बल्कि यह एक प्राचीन औषधि–भूमि है
जहाँ कभी राजा कांकेर के सैनिक
प्रकृति की गोद में उपचार पाकर
फिर से जीवन से भर जाते थे।

यह कथा न केवल इतिहास का अंश है,
बल्कि एक प्रेरणा भी है —
कि धरती माँ की गोद में ही असली औषधि छिपी है।


🌿 लेख स्रोत:
संकलन – श्री डी.पी. बागड़े (सेवानिवृत्त शिक्षक)
लेखन एवं संपादन – SAGES Singpur Portal Team



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top