🌿 बुटीगढ़ : एक लोक-गीत🌿
( हेमंत मरकाम )
🌿 बुटीगढ़ की धरती गाए,
पर्वत-वन संदेश सुनाए,
जड़ी-बूटी के पवित्र कण में,
जीवन रसिया समाए…
हे बुटीगढ़… ओ बुटीगढ़…
धन्य तेरी परछाईं…॥
घने जंगल की छाया तले,
ऋषि-मुनियों की वाणी बही,
चमत्कारिक औषधियों ने,
रोगों की लहरें कही।
माटी में उपचार छिपा है,
हर पत्ती में ज्ञान,
जादू-सा इसका इतिहास,
देता अमरता का दान…॥
बुटीगढ़ के वन की गहराई,
रहस्य भरे मनोहर प्राचीन,
लोककथाएँ कहतीं अब तक,
देव-गंधर्व हुए प्रवासीन।
वन-पेड़ों का मन मंदिर,
साँसों में रहता मंत्र,
धरती का संगम है यह,
जड़ी-बूटी का तंत्र…॥
पुरखों ने जो कथा सुनाई,
युगों युगों तक जी जाती,
आस्था का दीप जलाकर,
धरोहर पीढ़ी बढ़ाती।
सीखा प्रकृति का आदर,
हर जीव है यहाँ समान,
वन का हित ही मानव-हृदय का,
नित रहता सम्मान…॥
रातों में जुगनू जैसे,
आशा चमकाती राह,
यात्री जो खोया आता,
वन बनता उसकी चाह।
ऊँचे सागौन की झुरमुट,
सल-साजा का साथ,
धरती का स्वर बोल उठे,
बुटीगढ़ की बात…॥
आज भी प्रकृति सजती,
गौरव का श्रृंगार,
खेतों में सोने जैसा,
लहलहाता उपहार।
इतिहास है जीवंत हमें,
सीख यही बतलाए,
संरक्षण कर प्रकृति का,
धरोहर को बचाए…॥
🌿 बुटीगढ़ की वल्लरी गाए,
हरियाली की शान,
सदियों से जो कथा चली है,
हम सब का है अभिमान…
हे बुटीगढ़… ओ बुटीगढ़…
जीवन तेरा वरदान…॥
//जय बुटीगढ़ बाबा //
(सरांश)
बुटीगढ़ छत्तीसगढ़ के धमतरी क्षेत्र का एक प्राचीन वन-स्थल है। इसे औषधियों का खज़ाना कहा जाता है।
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि यहाँ तप करते थे और वन की जड़ी-बूटियों से रोगों का उपचार होता था।
लोक-कथाओं में वर्णित है कि यहाँ देव-गंधर्व भी विचरण करते थे।
वन की समृद्ध जैव विविधता, औषधीय महत्व, और सांस्कृतिक विरासत इसे एक पवित्र व ऐतिहासिक क्षेत्र बनाती है।
आज भी प्रकृति की सुंदरता, लोकमान्यता और चिकित्सा गुण इस स्थान को विशेष पहचान देते हैं।
//जय बुटीगढ़ बाबा //
आप सभी आदरणीय जानो साधुवात मैने एक कविता के रूप में लिखने का प्रयास हमारे बूटीगढ़ के बारे में किया हु । कही पास लिखने में कोई त्रुटि होगा तो छोटा भाई समझ कर माफ कर देना या कही सुधार करना होगा तो जरूर बता देना। 🙏
