शिक्षा केवल पुस्तकों और पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होती। हमर संस्कृति, हमर धरोहर: युवा मंच II SAGES SINGPUR

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हमर संस्कृति, हमर धरोहर: युवा मंच और SAGES सिंगपुर की अनूठी पहल


शिक्षा केवल पुस्तकों और पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होती। यह समाज, संस्कृति और मूल्यों से जुड़कर ही अपने वास्तविक स्वरूप को प्राप्त करती है। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालय (SAGES) सिंगपुर, जो धमतरी जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूर, विकासखंड मगरीलोड के अंतर्गत आदिवासी बहुल ग्राम सिंगपुर में स्थित है, इस दृष्टिकोण को साकार कर रहा है। घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाना एक चुनौती है, और इस दिशा में विद्यालय के साथ-साथ “हमर संस्कृति हमर धरोहर युवा मंच, सिंगपुर” का योगदान भी उल्लेखनीय है।



हमर संस्कृति हमर धरोहर युवा मंच – बदलाव की पहल

गाँव के जागरूक युवाओं ने महसूस किया कि केवल औपचारिक शिक्षा ही बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए पर्याप्त नहीं है। उनकी सृजनात्मकता, वक्तृत्व क्षमता, लेखन कौशल और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी विकसित करना उतना ही आवश्यक है। इसी सोच के साथ “हमर संस्कृति हमर धरोहर युवा मंच, सिंगपुर” का गठन हुआ।

इस मंच के सदस्य नियमित रूप से विद्यालय से संपर्क करते हैं, प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों से चर्चा कर बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाते हैं। मंच का उद्देश्य है –

  • बच्चों में सांस्कृतिक और बौद्धिक जागरूकता बढ़ाना।

  • प्रतियोगिताओं और गतिविधियों के माध्यम से आत्मविश्वास का विकास करना।

  • ग्रामीण और आदिवासी पृष्ठभूमि के बच्चों को अवसर और मंच प्रदान करना।

प्रतियोगिताएँ – प्रतिभा को पहचान देने का माध्यम

इस युवा मंच द्वारा आयोजित गतिविधियाँ न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि छात्रों की प्रतिभा को निखारने का एक अनूठा माध्यम भी हैं।


मुख्य प्रतियोगिताएँ –

  1. निबंध प्रतियोगिता – विद्यार्थियों को विचार अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है। इसमें अक्सर शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण और सामाजिक विषयों पर लेखन कराया जाता है।

  2. कविता एवं भाषण प्रतियोगिता – बच्चों की वक्तृत्व कला और भाषाई दक्षता विकसित करने के लिए।

  3. वाद–विवाद प्रतियोगितातर्क क्षमता, आत्मविश्वास और संवाद कौशल को बढ़ावा देने के लिए।

  4. चित्रकला एवं रंगोली प्रतियोगिता – बच्चों की सृजनात्मकता और कलात्मक दृष्टि को उभारने के लिए।

  5. प्रश्न–पत्र (प्रतियोगी परीक्षा प्रारूप) – छात्रों में प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी का अनुभव और रुचि बढ़ाने के लिए।

इन गतिविधियों के आयोजन से छात्रों में नए विचारों को समझने और व्यक्त करने की क्षमता बढ़ती है।

स्वयं के संसाधनों से पुरस्कार की व्यवस्था

सबसे प्रेरणादायक पहलू यह है कि युवा मंच के सदस्य अपने स्वयं के संसाधनों से इन कार्यक्रमों के लिए पुरस्कारों की व्यवस्था करते हैं।

  • विजेताओं को सर्टिफिकेट, किताबें, स्टेशनरी और प्रेरणादायक पुरस्कार दिए जाते हैं।

  • बच्चों को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया जाता है, जिससे उनमें सम्मान और उपलब्धि की भावना पनपती है।

यह प्रयास ग्रामीण युवाओं की सामाजिक जिम्मेदारी और शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।



विद्यालय और युवा मंच का सामंजस्य

विद्यालय प्रशासन और युवा मंच के बीच घनिष्ठ समन्वय है।

  • प्रतियोगिताओं की योजना शिक्षकों की सलाह से बनाई जाती है।

  • विद्यालय की सांस्कृतिक टीम और शिक्षक आयोजन में सहयोग करते हैं।

  • कार्यक्रमों का आयोजन विद्यालय परिसर में ही होता है, ताकि सभी विद्यार्थी इसमें भाग ले सकें।

प्रधानाचार्य और शिक्षक इन गतिविधियों को विद्यालय के शैक्षणिक कैलेंडर में भी शामिल करते हैं, जिससे यह केवल एक कार्यक्रम न रहकर निरंतर शैक्षिक प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है।

बच्चों में आए बदलाव

इन आयोजनों से छात्रों में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं –

  • आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि।

  • भाषाई और अभिव्यक्ति कौशल में सुधार।

  • प्रतिस्पर्धा के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण।

  • कला और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता।

यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के सहयोग से ही संपूर्ण बनती है।

एक आदर्श मॉडल

हमर संस्कृति हमर धरोहर युवा मंच, सिंगपुर और SAGES विद्यालय का यह सहयोग ग्रामीण शिक्षा और समाज के बीच साझेदारी का एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करता है।

  • जहाँ शिक्षक ज्ञान प्रदान करते हैं,

  • वहीं युवा मंच अवसर और प्रोत्साहन उपलब्ध कराता है।

यह पहल अन्य ग्राम पंचायतों और स्कूलों के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण बन सकती है।

निष्कर्ष

सिंगपुर जैसे दूरस्थ और आदिवासी बहुल क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करना आसान नहीं है। लेकिन हमर संस्कृति हमर धरोहर युवा मंच और SAGES सिंगपुर ने यह साबित किया है कि यदि युवा और विद्यालय मिलकर काम करें तो शिक्षा का दीप गाँव–गाँव तक रोशन किया जा सकता है।

यह पहल केवल बच्चों को पुरस्कार देने की नहीं, बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास जगाने, सोचने और समाज से जुड़ने की प्रेरणा देने की है।

यही है सच्ची शिक्षा – जो किताबों से आगे निकलकर जीवन को दिशा देती है।

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