"मा भी स्कूल आएगी" अभियान – माताओं की सहभागिता से शिक्षा में नई दिशा
स्थान: स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय (SAGES), सिंगपुर
प्रस्तावना – शिक्षा में माताओं की भूमिका का महत्व
बच्चे के सर्वांगीण विकास में माँ की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में बच्चों की प्रगति तभी संभव है जब अभिभावक और शिक्षक एक साथ मिलकर उनकी शिक्षा और व्यवहारिक विकास पर ध्यान दें। इसी उद्देश्य से स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय (SAGES), सिंगपुर में "मा भी स्कूल आएगी" अभियान के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में आसपास के 17 गाँवों की माताएँ, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, विद्यालय के स्टाफ, शिक्षकगण तथा स्कूल विकास समिति (SMC) के सदस्य उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य माताओं को बच्चों की शिक्षा में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना था।
विद्यालय और अभिभावकों के बीच संवाद को मजबूत करना।
बच्चों की शैक्षणिक प्रगति और अनुशासन पर संयुक्त चर्चा।
मासिक परीक्षणों (Monthly Tests) के परिणामों की समीक्षा कर सुधार के उपाय।
विद्यालय में चल रही सह-शैक्षणिक गतिविधियों और प्रतियोगिताओं की जानकारी देना
माताओं की सक्रिय भागीदारी – 17 गाँवों से उपस्थिति
इस विशेष बैठक में आसपास के 17 गाँवों की माताओं ने उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने विद्यालय में चल रही शिक्षा प्रणाली, मासिक परीक्षणों की व्यवस्था, बच्चों की उपस्थिति, अनुशासन और शिक्षा की गुणवत्ता पर अपने सुझाव साझा किए।
माताओं ने बताया कि वे बच्चों के नियमित अध्ययन और गृहकार्य में अधिक ध्यान देने का संकल्प लेंगी। उन्होंने विद्यालय के स्वच्छता, पुस्तकालय और खेलकूद गतिविधियों की सराहना की और इसे और सुदृढ़ बनाने के सुझाव भी दिए।
प्राचार्य महोदय का मार्गदर्शन
विद्यालय के प्राचार्य महोदय ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा –
"बच्चों की शिक्षा में परिवार और विद्यालय का संयुक्त प्रयास ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम ला सकता है। जब माँ शिक्षा की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेती है, तो बच्चा न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि संस्कार और अनुशासन के क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन करता है।"
उन्होंने माताओं को प्रोत्साहित किया कि वे बच्चों के अध्ययन समय में स्वयं भी उपस्थिति दर्ज करें, ताकि बच्चे को प्रेरणा मिले और उसका ध्यान पढ़ाई की ओर केंद्रित हो।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं स्कूल विकास समिति की सहभागिता
इस अवसर पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) ने कार्यक्रम में शामिल होकर माताओं को सरकार द्वारा संचालित नई शैक्षिक योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को डिजिटल शिक्षा, पुस्तकालय उपयोग और कौशल विकास कार्यक्रमों में भी प्रोत्साहित करें।
साथ ही, स्कूल विकास समिति (SMC) के सदस्यों और शिक्षकों ने विद्यालय के वार्षिक विकास योजना पर जानकारी साझा की और माताओं से सुझाव लेकर उसे और प्रभावी बनाने का संकल्प लिया।
मासिक परीक्षण और शैक्षणिक प्रगति पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान बच्चों के मासिक परीक्षण (Monthly Tests) के परिणामों की समीक्षा की गई। माताओं को बताया गया कि इन परीक्षणों के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई में कमजोरियों की पहचान कर उन्हें सुधारने का अवसर मिलता है। अभिभावकों को यह भी समझाया गया कि वे घर पर बच्चों के पढ़ाई के समय को व्यवस्थित करें और उनके लिए पढ़ने का अनुकूल माहौल तैयार करें।
सह-शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी
विद्यालय में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेल प्रतियोगिताओं और विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी की जानकारी भी माताओं को दी गई। उन्हें प्रोत्साहित किया गया कि वे बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि संगीत, खेल, कला और विज्ञान जैसी गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
संवाद और सुझाव – माताओं की सकारात्मक प्रतिक्रिया
बैठक में माताओं ने विद्यालय की शिक्षण पद्धति और अनुशासन व्यवस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की बैठकें समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए ताकि बच्चों के विकास पर मिलकर कार्य किया जा सके। कुछ माताओं ने सुझाव दिए कि विद्यालय में समय-समय पर कैरियर गाइडेंस और स्वास्थ्य जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाएं।
निष्कर्ष – शिक्षा में नई ऊर्जा का संचार
"मा भी स्कूल आएगी" अभियान ने विद्यालय और अभिभावकों के बीच संबंधों को मजबूत करने का कार्य किया। इस तरह की बैठकों से बच्चों की शिक्षा में न केवल गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि अभिभावकों की भागीदारी से बच्चों में आत्मविश्वास और अनुशासन भी बढ़ेगा।
इस आयोजन ने यह साबित किया कि जब विद्यालय, शिक्षक और अभिभावक एक मंच पर आते हैं, तो बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत आधार तैयार होता है।





