पालक–शिक्षक बैठक – SAGES सिंगपुर में सहभागिता का सशक्त मंच
परिचय
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय (SAGES), सिंगपुर, विकासखंड मगरलोड, जिला धमतरी (छत्तीसगढ़) में स्थित एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्था है। यह विद्यालय धमतरी जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर, घने वनों से आच्छादित आदिवासी बहुल ग्राम सिंगपुर में अवस्थित है। विद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण एवं आदिवासी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण, रोजगारोन्मुख एवं मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करना है।
शिक्षा केवल विद्यालय तक सीमित नहीं है; यह तभी सार्थक होती है जब इसमें पालकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो। इसी दृष्टिकोण से SAGES सिंगपुर में समय-समय पर पालक–शिक्षक बैठक (Parent–Teacher Meeting) का आयोजन किया जाता है। यह बैठक विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति, व्यवहारिक विकास और विद्यालय की गतिविधियों पर खुली चर्चा का मंच प्रदान करती है।
बैठक की तिथि एवं स्थान
हाल ही में आयोजित पालक–शिक्षक बैठक विद्यालय प्रांगण में हुई, जिसमें विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. वी.पी चंद्रा, सभी शिक्षकगण एवं बड़ी संख्या में पालक उपस्थित रहे। बैठक का संचालन विद्यालय प्रबंधन समिति के सहयोग से किया गया।
बैठक के उद्देश्य
बैठक के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यालय, विद्यार्थियों और पालकों के बीच मजबूत साझेदारी को सुदृढ़ करना तथा शिक्षा को सामूहिक प्रयास का स्वरूप प्रदान करना था। विशेष रूप से बैठक के उद्देश्य निम्नलिखित थे –
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विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति की जानकारी – प्रत्येक विद्यार्थी के अध्ययन, उपस्थिति और परीक्षा परिणाम की रिपोर्ट पालकों को उपलब्ध कराना।
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सांस्कृतिक एवं सह-पाठ्यक्रमिक गतिविधियों की जानकारी – विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेल गतिविधियों की जानकारी साझा करना।
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पालकों के सुझाव आमंत्रित करना – विद्यालय के संचालन एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पालकों से सुझाव प्राप्त करना।
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सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करना – शिक्षा को केवल विद्यालय तक सीमित न रखकर, इसे समाज और परिवार की संयुक्त जिम्मेदारी बनाना।
बैठक की रूपरेखा
बैठक की शुरुआत प्राचार्य डॉ. वी.पी.चंद्रा के स्वागत उद्बोधन से हुई। उन्होंने विद्यालय की वर्तमान स्थिति, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों के नैतिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
इसके बाद शिक्षकगणों द्वारा कक्षा-वार विद्यार्थियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसमें उपस्थिति, परीक्षा परिणाम, सह-पाठ्यक्रमिक गतिविधियों में भागीदारी और व्यवहार संबंधी अवलोकन शामिल थे।
पालकों की सहभागिता
बैठक में बड़ी संख्या में पालकों की उपस्थिति ने यह दर्शाया कि समुदाय शिक्षा के प्रति जागरूक है। कई पालकों ने विद्यालय के प्रयासों की सराहना की और विद्यालय–पालक सहयोग को और मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
कुछ प्रमुख सुझाव निम्नलिखित रहे –
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विद्यालय में अधिक कैरियर गाइडेंस सत्र आयोजित किए जाएँ।
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प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु अतिरिक्त कक्षाएँ प्रारंभ की जाएँ।
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कला एवं खेल गतिविधियों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा मिल सके।
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अभिभावक–शिक्षक समन्वय को और मजबूत करने के लिए तिमाही बैठकें आयोजित की जाएँ।
विशेष चर्चाएँ
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि "हमर संस्कृति हमर धरोहर युवा मंच, सिंगपुर" जैसे सामाजिक संगठन विद्यालय के साथ मिलकर बच्चों के लिए निबंध, कविता, भाषण, चित्रकला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आयोजित कर रहे हैं। पालकों ने इस पहल की सराहना की और ऐसे कार्यक्रमों में अधिक सहयोग देने का आश्वासन दिया।
प्रधानाचार्य ने पालकों को यह भी जानकारी दी कि विद्यालय आने वाले समय में डिजिटल शिक्षण, लाइब्रेरी विस्तार और खेल सुविधाओं के उन्नयन पर कार्य करेगा।
बैठक के परिणाम
बैठक के परिणामस्वरूप –
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पालकों की शिक्षा में भागीदारी बढ़ी।
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विद्यार्थियों की शैक्षणिक और व्यवहारिक समस्याओं के समाधान हेतु व्यावहारिक सुझाव प्राप्त हुए।
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विद्यालय और समुदाय के बीच विश्वास एवं सहयोग की भावना और प्रबल हुई।
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अल्पकालिक और दीर्घकालिक सुधार योजनाओं पर सहमति बनी।
निष्कर्ष
SAGES सिंगपुर में आयोजित पालक–शिक्षक बैठक शिक्षा को केवल विद्यालय की जिम्मेदारी न मानकर सामूहिक जिम्मेदारी बनाने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। इस बैठक ने यह सिद्ध किया कि जब विद्यालय, पालक और समाज मिलकर कार्य करते हैं, तब बच्चों के विकास के लिए एक सशक्त वातावरण तैयार होता है।
प्राचार्य डॉ. वी.पी.चंद्रा ने अपने समापन उद्बोधन में कहा –
"हमारा उद्देश्य केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सक्षम बनाना है। इसमें आप सभी पालकों का सहयोग अमूल्य है।"
इस बैठक से यह स्पष्ट हुआ कि विद्यालय और समुदाय की साझेदारी ही वह शक्ति है, जो बच्चों को ज्ञान, अनुशासन और संस्कारों से संपन्न उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाती है।
सुझाव
भविष्य में ऐसी बैठकों को नियमित अंतराल पर आयोजित करने, पालकों के लिए कार्यशालाओं की व्यवस्था करने तथा विद्यालय विकास के लिए सामुदायिक सहयोग को और बढ़ाने पर बल दिया गया।
