🍽️ Sages Singpur School में आयोजित न्योता भोज – एक अनुपम सांस्कृतिक अनुभव
Sages Singpur School न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह विद्यालय सांस्कृतिक परंपराओं, सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारे को भी बखूबी बढ़ावा देता है। यहाँ न केवल विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है, बल्कि अभिभावकगण, शिक्षकगण और ग्रामवासी भी समय-समय पर स्कूल से जुड़े आयोजनों में भाग लेकर उसे एक परिवार की तरह सजीव बना देते हैं।
📅 न्योता भोज का आयोजन – अवसर और उद्देश्य
Sages Singpur School में जब भी किसी पालक के घर में कोई जन्मदिन, शादी की सालगिरह, संतान के जन्म का उत्सव, किसी धार्मिक अवसर (जैसे सत्यनारायण कथा, पूजा-पाठ, छठ पर्व, दीवाली, नववर्ष), या फिर व्यक्तिगत सफलता (जैसे नौकरी लगना, कोई पुरस्कार प्राप्त करना आदि) होता है — तो वे अपनी खुशी को बच्चों के साथ साझा करने हेतु विद्यालय में न्योता भोज (सामूहिक भोजन) का आयोजन करते हैं।
इस भोज का मुख्य उद्देश्य होता है –
बच्चों को समाज की सकारात्मक परंपराओं से जोड़ना।
आपसी प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना।
विद्यार्थी, पालक और शिक्षक के बीच संबंधों को मजबूत बनाना।
परोपकार, सेवा और दान की भावना को प्रोत्साहित करना।
🏫 विद्यालय में भोज की शुरुआत – उत्साह और तैयारी
जब किसी पालक द्वारा भोज का प्रस्ताव आता है, तो स्कूल परिवार में खुशी की लहर दौड़ जाती है। प्रधानाचार्य और शिक्षकगण मिलकर आयोजन की रूपरेखा बनाते हैं। भोज की तारीख तय होती है, मेन्यू निर्धारित किया जाता है और बच्चों को निमंत्रण पत्र या मौखिक निमंत्रण देकर सूचना दी जाती है। कई बार बच्चे खुद भी भोज की तैयारी में छोटी-मोटी मदद करते हैं — जैसे पंक्तिबद्ध बैठना, परोसने में सहयोग, स्वच्छता बनाए रखना आदि।
🍛 भिन्न-भिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन – ग्रामीण संस्कृति की झलक
न्योता भोज में जो व्यंजन बनाए जाते हैं, वे हमारी ग्रामीण संस्कृति, पारंपरिक स्वाद और आत्मीयता का अद्भुत संगम होते हैं।
हर भोज में थोड़ा भिन्नता होती है, लेकिन कुछ लोकप्रिय व्यंजन हमेशा आम रहते हैं, जैसे:
गरमागरम पूरी / कचौरी
आलू-टमाटर की सब्जी / दम आलू
मिक्स वेज या सीजनल हरी सब्जी
चना मसाला / कढ़ी
पुलाव / फ्राइड राइस / सादा चावल
दाल तड़का / अरहर की दाल
पापड़, अचार और रायता
मीठे में रसगुल्ला, गुलाब जामुन, सेवइयाँ, खीर या हलवा
मौसमी फल या मठा / ठंडा पेय
कभी-कभी स्थानीय व्यंजन जैसे बफौरी, ठेठरी, फरा, पीठा, बरा, मुर्रा चिवड़ा, सत्तू आदि भी परोसे जाते हैं, जो भोज को और भी खास बना देते हैं।
👨👩👧👦 सभी का सहभाग – एकता और समरसता की मिसाल
न्योता भोज केवल खाने तक सीमित नहीं होता — यह अपने आप में एक सामाजिक मिलन समारोह बन जाता है। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी, बच्चे और उनके अभिभावक एक साथ भोजन करते हैं, आपस में बातचीत करते हैं और मिलजुल कर कुछ घंटे बिताते हैं।
कई बार पालकगण खुद भोजन परोसते हैं — यह उनके प्रेम, आत्मीयता और विद्यालय के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
बच्चों के चेहरों पर मुस्कान, ताज़ा बने व्यंजनों की खुशबू, सजी हुई पंगत और ‘सबको समान सेवा’ का भाव — यह सब मिलकर ऐसा दृश्य रचते हैं जो जीवन भर स्मरणीय बन जाता है।
🙏 धार्मिक और नैतिक संदेश भी जुड़ा होता है
कई बार न्योता भोज से पहले संक्षिप्त धार्मिक अनुष्ठान, जैसे – आरती, कथा, भजन, या हवन आदि भी होते हैं। इससे विद्यार्थियों को धर्म, संस्कृति और नैतिकता की जानकारी मिलती है।
साथ ही, यह भी सिखाया जाता है कि भोजन की बर्बादी नहीं करनी चाहिए, बड़ों का आदर करना चाहिए और हमेशा दूसरों के साथ मिल-बांटकर खाना चाहिए।
🎉 खुशियाँ बाँटने की परंपरा – प्रेरणा का स्रोत
कई विद्यार्थी इस भोज से इतने प्रभावित होते हैं कि अपने घर में जब भी कोई खुशी होती है, तो वे अपने माता-पिता से आग्रह करते हैं कि “माँ! इस बार हम भी स्कूल में न्योता भोज कराएंगे”।
यह परंपरा धीरे-धीरे बच्चों के मन में सहयोग, सेवा, दान और साझेदारी के बीज बोती है, जो उन्हें एक सामाजिक और जिम्मेदार नागरिक बनने की ओर अग्रसर करती है।
🧹 स्वच्छता और अनुशासन – बच्चों द्वारा निभाई जिम्मेदारी
भोज के बाद विद्यालय परिसर की सफाई, पत्तलों का निपटान, पानी का प्रबंधन — इन सभी कार्यों में बच्चे, शिक्षक और कई बार पालक भी मिलकर हिस्सा लेते हैं। यह सब विद्यार्थियों में अनुशासन, श्रम और जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है।
📸 यादगार पल – फोटो, वीडियो और रिपोर्टिंग
अक्सर विद्यालय परिवार इस आयोजन के सुंदर पलों को कैमरे में कैद करता है। फोटो और वीडियो को स्कूल ब्लॉग, व्हाट्सएप ग्रुप, सोशल मीडिया या दीवार पत्रिका में साझा किया जाता है। कई बार विद्यार्थी इस पर लेख या रिपोर्ट भी तैयार करते हैं, जिससे उनकी लेखन क्षमता और अभिव्यक्ति को भी बढ़ावा मिलता है।
🏆 निष्कर्ष: एक परंपरा जो दिलों को जोड़ती है
Sages Singpur School में आयोजित न्योता भोज, केवल भोजन का कार्यक्रम नहीं — बल्कि संवेदना, सहयोग और संस्कार का जीवंत उदाहरण है। यह न केवल बच्चों के पेट भरता है, बल्कि उनके मन और आत्मा को भी तृप्त करता है।
एक छोटे से गाँव के स्कूल में ऐसी परंपरा को जीवित रखना — पूरे समाज के लिए प्रेरणा है।
हम यही कामना करते हैं कि यह परंपरा यूँ ही चलती रहे और आने वाली पीढ़ियाँ इससे प्रेरित होकर समाज में प्रेम, भाईचारा और सेवा की भावना को आगे बढ़ाएँ।



