SAGES Singpur में 'सासंकिक संवाद' कार्यक्रम: जब कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा बने विद्यार्थियों के प्रेरणास्त्रोत
प्रस्तावना: जब एक सवाल ने छू लिया दिल
शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (SAGES) सिंगपुर में एक अद्वितीय कार्यक्रम "सासंकिक संवाद" का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे – धमतरी ज़िले के कलेक्टर श्री अविनाश मिश्रा जी। यह कार्यक्रम न सिर्फ प्रशासनिक संवाद का माध्यम बना, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन को दिशा देने वाला प्रेरणासत्र भी बन गया।
इस कार्यक्रम की सबसे रोचक और यादगार बात वह क्षण था, जब कक्षा 10वीं की छात्रा कुमारी चित्राणी ने कलेक्टर साहब से यह मासूम किंतु गूढ़ प्रश्न पूछा –
"सर जी, मेरा प्रश्न है कि अगर आपको पढ़ाई में मन नहीं लगता था, तो आप पढ़ाई के लिए कैसे मोटिवेट होते थे?"
इस सीधे-सादे प्रश्न में न केवल हर विद्यार्थी की जिज्ञासा छिपी थी, बल्कि यह भी संदेश था कि हर किसी को जीवन में किसी न किसी दौर में पढ़ाई कठिन लगती है। परंतु उस कठिनाई को पार करके ही सफलता मिलती है।
कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा का जवाब बना प्रेरणा का स्रोत-
छात्रा का यह सवाल सुनते ही समूचा सभागार शांत हो गया। सभी को कलेक्टर साहब की प्रतिक्रिया का इंतजार था। और जब उन्होंने उत्तर देना शुरू किया, तो हर बच्चा, हर शिक्षक उनकी बातों में खो गया। उन्होंने न सिर्फ अपना अनुभव साझा किया, बल्कि यह भी बताया कि कैसे उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदला।
श्री मिश्रा जी ने कहा:
"जब मैं पढ़ाई करने बैठता था, तब अक्सर हमारे घर में बिजली चली जाती थी। लेकिन मेरे पिताजी कभी हार नहीं मानते थे। वे तुरंत लालटेन या लैंप जला देते थे और कहते थे – ‘बेटा, आज तुम्हें पढ़ना है मतलब पढ़ना है।’"
यह बात सुनकर पूरे स्कूल में सन्नाटा छा गया – मानो हर किसी की आंखों के सामने एक चित्र बन गया हो, जिसमें एक बच्चा पढ़ाई में मशगूल है और उसके पिता उसकी पढ़ाई को लेकर दृढ़ हैं।
कलेक्टर साहब ने आगे कहा:
"मेरे पिताजी हमेशा मेरी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देते थे। उन्होंने मुझे सिखाया कि जो काम करना है, उसे पूरी लगन और ईमानदारी से करना चाहिए। यह नियम पढ़ाई पर भी लागू होता है – आज पढ़ना है, मतलब पढ़ना है। कोई बहाना नहीं चलेगा।"
गणित से गहरी लगन और आत्म-अनुशासन की मिसाल
श्री मिश्रा ने यह भी साझा किया कि उन्हें गणित विषय से विशेष लगाव था। वे घंटों बैठकर गणित के सवाल हल करते थे, सूत्र याद करते थे, और उनमें नयापन खोजते थे।
उन्होंने कहा:
"गणित मुझे बहुत पसंद था। मैं इसके सवालों को बार-बार हल करता, नए तरीके खोजता। गणित को खेल की तरह लेता – जैसे कोई खिलाड़ी अभ्यास करता है, वैसे ही मैं गणित के साथ अभ्यास करता था।"
उनकी इस बात ने यह संदेश दिया कि अगर किसी विषय के प्रति लगाव हो जाए, तो वह विषय बोझ नहीं बल्कि शौक बन जाता है।
मन कैसे लगाएं पढ़ाई में? कलेक्टर साहब की अनमोल सीख
सवाल था कि पढ़ाई में मन कैसे लगाएं – और जवाब मिला कि मन बनाने से ही मन लगता है।
उन्होंने कहा:
"पढ़ाई में मन लगाना एक प्रक्रिया है। जब आप किसी विषय को समझने लगते हैं, उसमें रुचि आती है, और फिर मन भी लगने लगता है। यह ज़रूरी नहीं कि हर विषय शुरू से पसंद आए, लेकिन उसे समझने और अपनाने की कोशिश करनी होगी।"
उन्होंने यह भी कहा कि:
"जिस तरह आप खेल को दिल से खेलते हैं, वैसे ही पढ़ाई को भी पूरे मन से करना होगा। जब आप किसी भी विषय को ‘आनंद’ के साथ पढ़ेंगे, तो वह कठिन नहीं लगेगा।"
समय प्रबंधन और दिनचर्या: सफलता की कुंजी
श्री मिश्रा जी ने अपनी दिनचर्या साझा करते हुए बताया कि:
"मेरी मां हमेशा कहती थीं – ‘सुबह 6 से 9 और शाम 6 से 9 – पढ़ने का समय है। बाकी समय में टीवी देखो, खेलो, मस्ती करो। लेकिन पढ़ाई के समय सिर्फ पढ़ाई।’"
इस कथन से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि समय का सही प्रयोग ही किसी भी विद्यार्थी को मंज़िल तक पहुंचाता है। उन्होंने छात्रों से कहा:
"आपका दिन 24 घंटे का होता है। उसमें से अगर 3-4 घंटे भी आप पूरे फोकस के साथ पढ़ाई को दे दें, तो कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।"
IIT और UPSC का सफर: प्रेरणा की मिसाल
कलेक्टर साहब ने अपनी संघर्षभरी यात्रा को भी साझा किया, जिससे छात्रों को यह समझ में आया कि कोई भी ऊंचाई नामुमकिन नहीं होती।
उन्होंने बताया कि:
"बारहवीं के बाद मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया, फिर आईआईटी (IIT) की परीक्षा दी और उसमें चयनित हुआ। IIT की पढ़ाई आसान नहीं थी, लेकिन मेरा लक्ष्य स्पष्ट था – मुझे UPSC की परीक्षा पास करनी थी।"
उन्होंने बताया कि:
"IIT में पढ़ाई के दौरान मैंने अनुशासन, मेहनत और टाइम मैनेजमेंट सीखा, जो आगे चलकर UPSC में मेरे काम आया। मैंने पूरे समर्पण और धैर्य के साथ UPSC की तैयारी की – और आखिरकार मेरा चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में हुआ।"
बच्चों को दोस्त की तरह किया प्रेरित
सबसे खास बात यह रही कि श्री अविनाश मिश्रा जी ने बच्चों को डांटने या आदेश देने के बजाय, एक दोस्त की तरह समझाया और मार्गदर्शन दिया। उन्होंने अपनी भाषा में कहीं भी आडंबर नहीं दिखाया, बल्कि बहुत ही सहज और सरल शब्दों में प्रेरणात्मक बातें कीं।
उनकी बातें न केवल बच्चों के लिए, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी एक सीख थीं।
इस कार्यक्रम से मिले प्रमुख प्रेरणास्त्रोत:
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पढ़ाई में अनुशासन ज़रूरी है।
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जो काम करना है – उसे पूरे मन से करना है।
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पढ़ाई को खेल की तरह लें – तब ही उसमें आनंद आएगा।
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विषय में रुचि बनाएं – मन अपने आप लगने लगेगा।
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समय प्रबंधन से सफलता मिलती है।
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माता-पिता का साथ और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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छोटे-छोटे प्रयास बड़ी सफलता की ओर ले जाते हैं।
SAGES Singpur: प्रतिभाओं की पाठशाला
यह कार्यक्रम SAGES Singpur स्कूल के लिए एक ऐतिहासिक अवसर था। यहां न सिर्फ प्रशासनिक प्रमुख बच्चों से संवाद कर रहे थे, बल्कि उनका मार्गदर्शन भी कर रहे थे। इस आयोजन ने स्कूल की पहचान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और समस्त विद्यार्थी इस आयोजन से बहुत अभिभूत हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि ऐसे कार्यक्रम बार-बार होने चाहिए, ताकि बच्चों को सही दिशा, मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती रहे।
निष्कर्ष: यह संवाद एक प्रेरणासत्र बन गया
SAGES Singpur में आयोजित सासंकिक संवाद एक साधारण कार्यक्रम नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन की दिशा तय करने वाला पल बन गया। श्री अबिनाश मिश्रा जी जैसे अधिकारी जब अपने संघर्ष और सफलता की कहानी साझा करते हैं, तो वह केवल बात नहीं होती – वह उम्मीद बन जाती है, एक चिंगारी बन जाती है, जो भविष्य को उज्जवल बना सकती है।
हर छात्रा, हर छात्र के दिल में अब एक विश्वास है –
अगर कलेक्टर साहब ऐसा कर सकते हैं, तो हम भी कर सकते हैं।
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