शिक्षा की अलख जगाते शिक्षक – SAGES सिंगपुर की घर-घर पहुँच पहल
परिचय
ग्रामीण और आदिवासी अंचल में शिक्षा की अलख जगाना आसान नहीं होता। आर्थिक स्थिति, सामाजिक परिस्थितियाँ और संसाधनों की कमी अक्सर बच्चों को विद्यालय तक पहुँचने से रोकती हैं। ऐसे में विद्यालय केवल शिक्षा देने का केंद्र नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का माध्यम भी बन जाता है। इसी सोच को साकार कर रहा है स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय (SAGES), सिंगपुर)।
धमतरी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर, घने जंगलों से घिरे आदिवासी बहुल ग्राम सिंगपुर में स्थित यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नई पहलें कर रहा है। यहाँ के शिक्षक केवल कक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि घर-घर जाकर बच्चों और पालकों से संवाद स्थापित कर उन्हें पढ़ाई और नियमित विद्यालय उपस्थिति के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
विशेष उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस विद्यालय में 17 गाँवों के आसपास के बच्चे आकर शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिससे यह विद्यालय पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रमुख शैक्षणिक केंद्र बन गया है।
शिक्षकों की सक्रिय पहल – गाँव तक पहुँचती शिक्षा
प्रधानाचार्य डॉ. वी.पी चंद्रा के मार्गदर्शन में विद्यालय के सभी शिक्षक और कर्मचारी नियमित रूप से गाँव-गाँव भ्रमण कर रहे हैं। इस पहल में प्रमुख रूप से आर.बी. मार्कोले सर, देवांगन सर, खिल्लू साहू सर, आर.एस. साहू सर, आर.के. साहू सर, दुलेश्वरी ध्रुव मैडम और अन्य सभी स्टाफ सक्रिय रूप से शामिल हैं।
ये शिक्षक अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद समय निकालकर गाँव-गाँव पहुँचते हैं, परिवारों से मिलते हैं और बच्चों की शिक्षा को लेकर संवाद स्थापित करते हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ यह बताना नहीं कि बच्चा विद्यालय क्यों आए, बल्कि यह भी है कि शिक्षा ही सामाजिक और आर्थिक उन्नति का रास्ता है।
घर-घर जाकर संवाद – दिल को छूने वाली पहल
ग्राम भ्रमण के दौरान शिक्षक –
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अभिभावकों से व्यक्तिगत बातचीत करते हैं और बच्चों की पढ़ाई की वास्तविक स्थिति जानने की कोशिश करते हैं।
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पालकों को नियमित उपस्थिति और पढ़ाई की महत्ता समझाते हैं।
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विद्यालय में चल रही शैक्षणिक, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी देते हैं।
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पालकों की समस्याएँ सुनते हैं और समाधान खोजने का प्रयास करते हैं।
इस पहल से कई ऐसे परिवारों में बदलाव आया है, जो पहले शिक्षा के महत्व से अनजान थे।
उद्देश्य और महत्त्व
इस पहल के मुख्य उद्देश्य हैं –
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विद्यालय छोड़ चुके या अनियमित बच्चों को पुनः विद्यालय से जोड़ना।
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पालकों में शिक्षा के महत्व की जागरूकता बढ़ाना।
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विद्यालय और समुदाय के बीच मजबूत संबंध स्थापित करना।
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ग्रामीण एवं आदिवासी समाज में शिक्षा को प्राथमिकता देना।
सकारात्मक परिणाम – बदलता हुआ परिदृश्य
इस पहल के परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं –
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विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
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अभिभावकों की शिक्षा के प्रति सोच बदली है। अब वे बच्चों को पढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
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कई विद्यालय छोड़ चुके बच्चे वापस विद्यालय लौटे हैं।
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ग्राम समुदाय और विद्यालय के बीच सहयोग की भावना मजबूत हुई है।
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17 गाँवों के बच्चों के एक साथ आने से विद्यालय एक सामुदायिक शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हुआ है।
प्रधानाचार्य का दृष्टिकोण
प्रधानाचार्य डॉ. वी.पी. चंद्रा ने कहा –
"हमारा लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। हम चाहते हैं कि गाँव का हर बच्चा पढ़ाई करे और अपने सपनों को पूरा करे। इसके लिए हम शिक्षक केवल विद्यालय में नहीं, बल्कि गाँव में भी बच्चों और अभिभावकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।"
निष्कर्ष – शिक्षा को आंदोलन में बदलते शिक्षक
SAGES सिंगपुर के शिक्षक केवल अध्यापक नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने वाले सच्चे कर्मयोगी हैं। आर.बी. मार्कोले सर, देवांगन सर, खिल्लू साहू सर, आर.एस. साहू सर, आर.के. साहू सर, दुलेश्वरी ध्रुव मैडम और अन्य सभी कर्मचारी यह साबित कर रहे हैं कि जब शिक्षा घर-घर तक पहुँचती है, तभी वास्तविक विकास संभव है।
यह पहल न केवल विद्यालय के लिए एक उपलब्धि है, बल्कि यह आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है।
भविष्य की दिशा
विद्यालय ने तय किया है कि –
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हर माह गाँव-गाँव में अभिभावक संवाद अभियान चलाया जाएगा।
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विद्यालय विकास में समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिए समितियाँ बनाई जाएँगी।
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शिक्षा छोड़ चुके बच्चों के लिए विशेष पुनर्वास कक्षाएँ आयोजित की जाएँगी।



