सेवा निवृत्त प्रधान पाठक ने पत्नी के जन्मदिन पर SAGES Singpur को पुस्तकें भेंट कर रची मिसाल

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सामुदायिक सहभागिता से समृद्ध हो रहा है विद्यालय


 स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालय (SAGES) सिंगपुर में एक प्रेरणादायी घटना देखने को मिली। यहाँ सेवा निवृत्त प्रधान पाठक दुर्योधन मरकाम ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती मीना कुमारी मरकाम के जन्मदिन के अवसर पर विद्यालय पहुँचकर बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से डेढ़ दर्जन मोटिवेशनल एवं प्रतियोगी परीक्षा की किताबें तथा अंग्रेजी की डिक्शनरी भेंट की।

यह पहल न केवल विद्यार्थियों के लिए लाभकारी साबित होगी, बल्कि पूरे समाज के लिए एक उदाहरण भी बनेगी कि कैसे व्यक्ति अपने खास पलों को शिक्षा और समाजसेवा से जोड़कर एक सकारात्मक संदेश दे सकता है।

सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम से बढ़ रही है भागीदारी

SAGES Singpur द्वारा जब से सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम की शुरुआत हुई है, तब से स्थानीय समुदाय के लोग निरंतर विद्यालय से जुड़ते जा रहे हैं। अब हालात यह हैं कि लोग अपने जन्मदिन, बच्चों के जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, पुण्यतिथि या प्रियजनों की स्मृति जैसे खास अवसरों पर विद्यालय आकर कुछ न कुछ भेंट कर रहे हैं।

इस प्रकार की पहल से विद्यालय में न केवल संसाधनों की वृद्धि हो रही है, बल्कि विद्यार्थियों को भी यह संदेश मिलता है कि शिक्षा ही जीवन को संवारने का सबसे सशक्त माध्यम है।

थाती” वाचनालय हो रहा है समृद्ध
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विद्यालय में स्थापित “थाती” वाचनालय को समुदाय के सहयोग से लगातार समृद्ध किया जा रहा है। दुर्योधन मरकाम ने जब पुस्तकों का दान किया, तो यह संग्रह और भी मजबूत हुआ। यहाँ अब विभिन्न प्रकार की मोटिवेशनल किताबें, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित पुस्तकें तथा शब्दकोश उपलब्ध हैं, जो विद्यार्थियों के अधिगम स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक होंगी।
कार्यक्रम में विशेष लोग रहे उपस्थित

इस अवसर पर कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे, 
जिनमें प्रमुख रूप से सिंगपुर के सरपंच लोमेश्वर साहू,डॉ. हेमन्त साहू,सफीना बानो,राधेलाल सिन्हा डाइट नगरी के व्याख्याता जोहन नेतामइन सभी ने इस प्रेरणादायी कार्य की सराहना की और समुदाय से शिक्षा के क्षेत्र में इसी तरह आगे आने का आह्वान किया।

विद्यालय परिवार ने जताई कृतज्ञता

विद्यालय परिवार की ओर से प्राचार्य एवं समस्त शिक्षकों ने दुर्योधन मरकाम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि समुदाय द्वारा दी गई प्रत्येक सामग्री का उपयोग विद्यार्थियों की पढ़ाई और अधिगम सुधार के लिए किया जाएगा।

बच्चों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया
पुस्तक दान के इस अवसर पर उपस्थित सभी लोग वाचनालय भी पहुँचे। वहाँ वाचनालय प्रभारी श्रीमती मोनिका रावटे ने सभी को बच्चों द्वारा पढ़ी जाने वाली किताबों की जानकारी दी। उन्होंने विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा समय वाचनालय में बिताने और नियमित रूप से पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

जोहन नेताम का प्रेरणादायी उद्बोधन

इस अवसर पर जोहन नेताम ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा:
“किताब मनुष्य के विकास की चाबी है। जो व्यक्ति किताबों से दोस्ती करता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।”
उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे किताबों को अपना मित्र बनाएं और प्रतिदिन पढ़ाई में मन लगाएँ

उनके इस उद्बोधन ने बच्चों में एक नया उत्साह जगाया और उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई करने का संकल्प लिया।
ऐसी पहल क्यों है महत्वपूर्ण?

आज के समय में बच्चों के सामने मोबाइल और इंटरनेट जैसे कई आकर्षण हैं, जिनके कारण वे किताबों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में यदि समाज के लोग इस तरह की पहल करके किताबों की ओर आकर्षित करते हैं, तो यह न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाता है बल्कि पढ़ने की संस्कृति (Reading Culture) को भी मजबूत करता है।
निष्कर्ष
SAGES Singpur में दुर्योधन मरकाम द्वारा की गई यह पहल पूरे समाज के लिए अनुकरणीय है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि हम अपने जीवन के खास अवसरों को समाज और शिक्षा से जोड़ सकते हैं। यदि हर व्यक्ति इसी तरह बच्चों के भविष्य में योगदान दे, तो निश्चित ही समाज में शिक्षा का स्तर ऊँचा उठेगा और आने वाली पीढ़ियाँ अधिक सक्षम बनेंगी।

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