सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) – नोट्स
1. परिचय
अंग्रेजी कानूनों और अन्य अन्यायपूर्ण नियमों का शांतिपूर्ण विरोध।
इसका मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करना।
नेतृत्व: महात्मा गांधी
वर्ष: 1930 से शुरू हुआ।
2. कारण
अंग्रेजों द्वारा लोगों पर भारी कर और कराधान।
ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कानून (जैसे नमक कानून)।
स्वतंत्रता की मांग और भारत में स्वराज।
3. प्रमुख घटनाएँ
| तारीख/वर्ष | घटना |
|---|---|
| 12 मार्च 1930 | दांडी मार्च – नमक कानून का शांतिपूर्ण उल्लंघन |
| मार्च 1930 | 240 मील लंबा नमक सत्याग्रह – समुद्र से नमक बनाना |
| 1930-1934 | पूरे भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन फैला |
| 1931 | गांधी-इरविन समझौता – आंदोलन का एक हिस्सा समाप्त |
4. आंदोलन की विशेषताएँ
अहिंसात्मक विरोध – हिंसा नहीं।
कानून का जानबूझकर उल्लंघन (जैसे नमक बनाना, कर न देना)।
सार्वजनिक भागीदारी – किसान, मजदूर, छात्र, महिलाएँ।
अंग्रेज सरकार पर राजनीतिक दबाव।
5. प्रमुख नेता
महात्मा गांधी – आंदोलन के मुख्य नेता
सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू
6. परिणाम
तत्काल स्वतंत्रता नहीं मिली।
भारतीय जनता में सामूहिक जागरूकता और एकजुटता बढ़ी।
अंग्रेजों ने समझौता किया (गांधी-इरविन समझौता 1931)।
स्वतंत्रता संग्राम के लिए अहम कदम।
7. विशेष तथ्य
नमक कानून का उल्लंघन आंदोलन का प्रतीक बना।
इसे शांतिपूर्ण अवज्ञा का आंदोलन कहा जाता है।
देशभर में लाखों लोग इसमें शामिल हुए।