1857 का विद्रोह – नोट्स
1. परिचय
इसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम या सिपाही विद्रोह / सिपाही विद्रोह 1857 कहा जाता है।
समय: 10 मई 1857 – 1858
स्थान: मुख्य केंद्र – मेरठ, दिल्ली, कानपुर, झांसी, लखनऊ, बंगाल आदि
मुख्य कारण: सैनिकों की नाराजगी और आम जनता की अंग्रेजों के खिलाफ असंतोष।
2. कारण
सामान्य कारण:
अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीतियाँ (जमींदारी, कराधान)।
भारतीय रियासतों का राज्य नियंत्रण में ह्रास।
सैनिकों के लिए भेदभाव और अधिकारों की कमी।
तत्काल कारण:
इनोफेंसिव कारतूस का विवाद – गाय/सूअर की चर्बी से बने कारतूस।
सैनिकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रहार।
सेना में अंग्रेजों का अनुचित व्यवहार।
3. प्रमुख नेता
| क्षेत्र | नेता |
|---|---|
| दिल्ली | बहादुर शाह जफ़र (आखिरी मुगल सम्राट) |
| कानपुर | नाना साहब |
| झांसी | रानी लक्ष्मीबाई |
| लखनऊ | वीर बहादुर सिंह |
| बिहार | तात्या टोपे |
4. प्रमुख घटनाएँ
10 मई 1857 – मेरठ विद्रोह: भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत शुरू।
दिल्ली पर क़ब्ज़ा: सिपाही बहादुर शाह ज़फ़र को सम्राट घोषित करते हैं।
कानपुर की घटना: नाना साहब के नेतृत्व में अंग्रेजों पर हमला।
झांसी की रानी: रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ वीरता से लड़ाई लड़ी।
विद्रोह का फैलाव: दिल्ली, कानपुर, झांसी, लखनऊ, बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश।
5. परिणाम
विद्रोह असफल रहा।
बहादुर शाह जफ़र को निर्वासित किया गया (रंगून, म्यांमार)।
अंग्रेजों ने भारतीय सेना की संरचना बदल दी।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार समाप्त – ब्रिटिश सरकार ने शासन संभाला (1858 में)।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव और राष्ट्रीय चेतना जागी।
6. विशेष तथ्य
इसे पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है।
रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे ने असाधारण वीरता दिखाई।
इसे सैनिक विद्रोह और नागरिक विद्रोह दोनों के रूप में देखा जाता है।